वो आजकल मुलाकात करने से कतराने लगी है ऐसा लगता है कहीं और गुल खिलने लगी है पूछता हूं ए बर्ताव कैसा है तो अपनी मुस्कान में कुछ राज छुपाने लगी है
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Writer Manoj Kumar gorakhpur Hindi shayari हिंदी शायरी shayari sangrah शायरी संग्रह