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मई, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दर्द शायरी

वफा के बदले वफा मिला ही नहीं स्वार्थ सिद्ध होते ही रुख उन्होंने मोड़ लिया न जिया जा रहा है न मर पा रहा हूं साथ ऐसे छोड़ दिया वह बेवफा सितम हद से ज्यादा कर चुकी है मैं टूट कर इतना बिखर गया हूं खुद को संभाल पाना मुश्किल हो गया है दौलत पर बिकाऊ आजकल मोहब्बत हो गया है