वफा के बदले वफा मिला ही नहीं स्वार्थ सिद्ध होते ही रुख उन्होंने मोड़ लिया न जिया जा रहा है न मर पा रहा हूं साथ ऐसे छोड़ दिया वह बेवफा सितम हद से ज्यादा कर चुकी है मैं टूट कर इतना बिखर गया हूं खुद को संभाल पाना मुश्किल हो गया है दौलत पर बिकाऊ आजकल मोहब्बत हो गया है
Writer Manoj Kumar gorakhpur Hindi shayari हिंदी शायरी shayari sangrah शायरी संग्रह