इत्तेफाक अपनी मुकद्दर में यूं ही नहीं हुआ मुझमें कुछ खामियां थी जिसका सुधार करने में बहुत देर कर दिया उसके प्यार से जिंदगी रोशन थी खुद अपनी खुशियों में अंधेर कर लिया अभी-अभी निजात मिली है दुखों के भंडार से खुश रहने लगा हूं उसके प्यार से
Writer Manoj Kumar gorakhpur Hindi shayari हिंदी शायरी shayari sangrah शायरी संग्रह