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इत्तेफाक अपनी मुकद्दर में-shayari in Hindi

इत्तेफाक अपनी मुकद्दर में यूं ही नहीं हुआ मुझमें कुछ खामियां थी जिसका सुधार करने में बहुत देर कर दिया उसके प्यार से जिंदगी रोशन थी खुद अपनी खुशियों में अंधेर कर लिया

अभी-अभी निजात मिली है दुखों के भंडार से खुश रहने लगा हूं उसके प्यार से

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कभी कभी खुद से रूठ जाते हैं - Hindi shayari

कभी कभी खुद से रूठ जाते हैं मुश्किल भरी जिंदगी से टूट जाते हैं हैरान हूं अपनों की बेवफाई देखकर लोग कैसे इंसानियत भूल जाते हैं मोहब्बत नहीं है तो इंकार कर दो जैसे तैसे दिल को समझने की कोशिश करूंगा जो मेरा नहीं है उसके लिए लड़ाई करके भी क्या करूंगा Love shayari  हर पल मेरे ख्वाबों खयालों में रहने लगी हो बेहद प्यार करने लगा हूं हमसफर बन जाओगी हर तमन्ना पूरी हो जाएगी ऐसे वक्त का बेसब्री से इंतजार करने लगा हूं

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मुझे प्यार होने लगा है वादों पर एतबार होने लगा है करीब रहना चाहता हूं इंतजाम कर दो अब दूरियों में समय बर्बाद होने लगा है इंतजार में वक्त निकलता जा रहा है और तुम हो की मुलाकात की फुर्सत नहीं है इस तरह अंधेरे में रखना छोड़ दो साफ कह दो कि मोहब्बत नहीं है