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गुरूर थोड़ा और बर्दाश्त कर लिया होता उसके आजमाने का वक्त पूरा कर लिया होता आज इधर उधर भटकना नहीं पड़ता जो इरादा महसूस कर लिया होता
जहां मोहब्बत की आग लगी थी अब खामोशी बिखरने लगी है क्योंकि सुना है मेरे सिवा वह किसी दूसरे से मिलने लगी है मेरी नम आंखें वादों को सोचती है आजकल शिद्दत सी चाहते अपनी खता ढूंढती है
मैने सोचा नहीं था जोर ज्यादा करेंगे जो नहीं चाहती हूं वह इरादा करेंगे