वादों में खुशियों की महफिल सजाता रहा करीब आने का मौका कभी न दिया जिस पर विश्वास इतना ज्यादा किया यकीन नहीं होता धोखा दिया है
मन की ख्वाहिशों का इजहार करने को बेचैन हो रहा हूं एक हसीना से बेतहाशा प्यार कर रहा हूं दुआ करो मेरे विचार पर सहमति मिले उसको अपना हमसफर चाहता हूंं
शायरी संग्रह-Shayari sangrah