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वादों में खुशियों की महफिल सजाता रहा-Hindi shayari sangrah

वादों में खुशियों की महफिल सजाता रहा करीब आने का मौका कभी न दिया जिस पर विश्वास इतना ज्यादा किया यकीन नहीं होता धोखा दिया है

मन की ख्वाहिशों का इजहार करने को बेचैन हो रहा हूं एक हसीना से बेतहाशा प्यार कर रहा हूं दुआ करो मेरे विचार पर सहमति मिले उसको अपना हमसफर चाहता हूंं

शायरी संग्रह-Shayari sangrah































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कभी कभी खुद से रूठ जाते हैं - Hindi shayari

कभी कभी खुद से रूठ जाते हैं मुश्किल भरी जिंदगी से टूट जाते हैं हैरान हूं अपनों की बेवफाई देखकर लोग कैसे इंसानियत भूल जाते हैं मोहब्बत नहीं है तो इंकार कर दो जैसे तैसे दिल को समझने की कोशिश करूंगा जो मेरा नहीं है उसके लिए लड़ाई करके भी क्या करूंगा Love shayari  हर पल मेरे ख्वाबों खयालों में रहने लगी हो बेहद प्यार करने लगा हूं हमसफर बन जाओगी हर तमन्ना पूरी हो जाएगी ऐसे वक्त का बेसब्री से इंतजार करने लगा हूं

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वो आजकल मुलाकात करने से कतराने लगी है ऐसा लगता है कहीं और गुल खिलने लगी है पूछता हूं ए बर्ताव कैसा है तो अपनी मुस्कान में कुछ राज छुपाने लगी है